PM Modi की दृष्टि की परिचय – 2024
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमेशा से भारत को विकसित और सशक्त राष्ट्र के रूप में देखने की अपनी दृष्टि व्यक्त की है। उनके दृष्टिकोण में, सरकारी प्रणाली का उद्देश्य जनता के कल्याण को सुनिश्चित करना है और उनकी मांगों को समझकर सक्रियता से क्रियान्वित करना होता है। उनके नेतृत्व में, यह आदर्श वाक्य ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ से ‘सबका प्रयास’ में बदल गया है, जिससे दिखता है कि विकास का सफर अब हर नागरिक के सहभागिता से जुड़ा हुआ है।
पीएम मोदी की दृष्टि की मुख्य विशेषताओं में से कुछ निम्नलिखित हैं:
नागरिक केंद्रित शासन: उनकी सरकार ने नीतियों और योजनाओं को लागू करते समय लोगों को केंद्र में रखा है।
तकनीकी प्रगति का प्रोत्साहन: मोदी सरकार ने डिजिटल इंडिया जैसी पहलों के माध्यम से तकनीकी विकास का मार्ग प्रशस्त किया है।
सुशासन और पारदर्शिता: भ्रष्टाचार को कम करने और प्रशासन में पारदर्शिता लाने के लिए निरंतर प्रयास किए गए हैं।
विकास और समृद्धि: देश के समग्र विकास और समृद्धि को बढ़ाने के लिए अभिनव उपायों को अपनाया गया है।
पीएम मोदी ने अपने नेतृत्व में न केवल संकल्पों की बात की है, बल्कि लक्ष्यों को पाने के लिए ठोस कार्य-नीतियों और निरंतर प्रगति पर जोर दिया है। उनकी दृष्टि में अभिनय नहीं, बल्कि सक्रियता को महत्वपूर्ण माना गया है, जो आम आदमी के सशक्तिकरण और देश के सतत विकास में योगदान देता है।
PM Modi का नारा:कर्म पर जोर का महत्व
18वीं लोकसभा चुनाव की पूर्व संध्या पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नया नारा ‘लोगों की मांग – अभिनय नहीं, सक्रियता हो’ एक महत्वपूर्ण संकेत देता है। इस नारे का आशय है कि जनता सिर्फ प्रतीकात्मक कार्यों और बड़े-बड़े भाषणों से नहीं बल्कि ठोस परिणामों से प्रभावित होती है। कर्म पर जोर देने का महत्व इस प्रकाश में उभरता है:
निष्पादन की प्राथमिकता: इस नए नारे के माध्यम से पीएम मोदी इस बात पर जोर दे रहे हैं की सरकारी परियोजनाएँ और नीतियाँ केवल कागजों पर नहीं, बल्कि धरातल पर क्रियान्वित होनी चाहिए।
प्रगतिशील सोच: कर्म के महत्व पर बल देने का मतलब यह भी है कि सरकार और नेता एक प्रगतिशील और व्यावहारिक सोच अपना रहे हैं।
जवाबदेही और पारदर्शिता: कर्म पर जोर से जवाबदेही और पारदर्शिता के विचार को बल मिलता है जिससे कि सरकार के कामकाज में नागरिकों का विश्वास बढ़े।
लोक कल्याणकारी सुधार: ठोस कर्मों पर जोर देने वाली सरकारें अधिक लोक कल्याणकारी सुधारों को क्रियान्वित कर सकती हैं, जिससे समाज के विभिन्न वर्गों को लाभ होता है।
अंतत:, यह नारा सरकार की ओर से एक प्रतिज्ञा भी माना जा सकता है कि वह समाज के सभी वर्गों के प्रति संवेदनशीलता और सक्रियता के साथ कार्य करेगी और समग्र विकास के लिए प्रयत्नशील रहेगी। इस नए नारे के माध्यम से लोगों की मांग की गई है कि सरकारी उपलब्धियां केवल रिपोर्ट्स और आंकड़ों में ही नहीं, बल्कि उनके दैनिक जीवन में भी नजर आनी चाहिए।
इस प्रकार, कर्म पर जोर देना न केवल एक वादा है बल्कि एक संकल्प भी है जो साबित करता है कि सरकार अपने नागरिकों के लिए सजग और समर्पित है।
PM Modi: नाटक बनाम काम की राजनीति
राजनीतिक परिस्थिति में अक्सर दो धाराएं प्रबल नजर आती हैं: एक जिसमें राजनीतिक अभिनय और नाटकीय प्रदर्शन होता है, दूसरी जिसमें वास्तविक कार्यों और पहलों पर जोर दिया जाता है। जनसंख्यानुसार, भारत में तेजी से बढ़ती युवा जनसंख्या अधिक कार्य-केंद्रित दृष्टिकोण की मांग कर रही है।
राजनीतिक नाटक: इसमें भावनात्मक भाषण, आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति, और मीडिया में ध्यानाकर्षण के उपाय शामिल हैं। इस प्रकार की राजनीति अक्सर सार्थक परिणाम नहीं देती। काम की राजनीति: यह विकासोन्मुख परियोजनाओं, सुधारात्मक कदमों, और ठोस राजनीतिक संकल्पों पर आधारित है। यह एक पारदर्शी, जवाबदेही युक्त और सक्षम शासन प्रणाली की मांग करती है।
यहाँ प्रासंगिक है कि 18वीं लोकसभा की पूर्व संध्या पर प्रधानमंत्री मोदी द्वारा उद्घोषित नारा सीधे इसी बात को संबोधित करता है। “लोगों की मांग – अभिनय नहीं, सक्रियता हो” का संदेश यह है कि जनता काम की राजनीति को महत्व देती है, न कि केवल शब्दों और वादों की आशाओं पर।
कार्य-केंद्रित राजनीति का अर्थ है:
कल्याणकारी परियोजनाओं का सफल कार्यान्वयन पारदर्शी नीतियों का विकास नागरिकों की सहभागिता और कल्याण में वृद्धि
इस प्रकार की राजनीति दीर्घ अवधि के लिए देश की स्थिरता और समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करती है। नाटक या अभिनय आधारित राजनीति के विपरीत, यह ठोस और मूर्त नतीजे देने पर केंद्रित है। इससे देश की आम जनता का विश्वास राजनीतिक तंत्र में मजबूती से स्थापित होता है।
PM Modi: प्रेरणादायक नेतृत्व का मानक
प्रेरणादायक नेतृत्व की बात करें तो पीएम नरेंद्र मोदी का सफर एक उत्कृष्ट उदाहरण पेश करता है। उनकी पहचान एक ऐसे नेता के रूप में की जाती है जो लोगों को प्रेरित करने के साथ साथ, सामूहिक संकल्प को ऊँचाई तक ले जाने की क्षमता रखते हैं। उनकी नेतृत्व क्षमता के कुछ पहलू इस प्रकार हैं:
स्पष्ट दृष्टिकोण: पीएम मोदी अपने साफ़ सिद्धांतों और राष्ट्रीय हितों के प्रति अडिग रहते हैं। उनकी नीतियाँ और परियोजनाएं स्पष्ट लक्ष्यों पर आधारित होती हैं, जो जनता को सूचित करते हुए उन्हें साथ ले चलने के लिए प्रेरणा देती हैं।
मजबूत संकल्प और सक्रियता: धरातल पर उतरकर कार्य करने और लम्बे समय तक उन्हें जारी रखने की उनकी क्षमता सामान्य जनों के मन में उत्साह जगाती है।
संवाद की कला: पीएम मोदी एक प्रभावी संवादक हैं और वे अपनी बातों को ऐसे प्रकट करते हैं कि यह सीधे लोगों के दिल से जुड़ जाती है। उनका सम्बोधन प्रेरक और मोटिवेशनल होता है, जिससे जनमानस नवीन ऊर्जा से भर उठता है।
उदाहरण सेट करना: वे खुद में उच्च मानदंड स्थापित करते हैं और अपनी बातों को आचरण में लाने के लिए सही उदाहरण पेश करते हैं, जिससे उनके अनुयायी उन्हें देख और सीख सकते हैं।
इनोवेशन और रचनात्मकता: आधुनिकता और परंपरा का सही संतुलन बनाकर, उन्होंने नीति निर्माण और कार्यान्वयन में नई सोच का प्रवेश कराया है।
इस तरह पीएम मोदी ने नेतृत्व के प्रतिमान को नए आयाम दिए हैं और साबित किया है कि व्यापक सोच वाला, कर्मठ एवं समर्पित नेतृत्व ही सच्ची प्रेरणा और परिवर्तन ला सकता है।
PM Modi का नारा:राष्ट्र निर्माण में कर्म का स्थान
राष्ट्र का निर्माण केवल आदर्शों और सिद्धांतों पर आधारित नीतियों से नहीं होता है; व्यावहारिक कार्येकर्म और समर्पित प्रयास भी उतने ही महत्वपूर्ण हैं। कर्म का राष्ट्र निर्माण में एक विशेष स्थान है:
संकल्प से सिद्धि: केवल संकल्पित होने से कार्य सिद्ध नहीं होते, अटूट परिश्रम और अनवरत प्रयत्न इसके लिए अपरिहार्य हैं। योजनाओं का क्रियान्वयन: योजनाओं को कागजों से निकालकर धरातल पर उतारने का काम कर्म के बिना संभव नहीं है। नेतृत्व और उदाहरण: कर्मठ नेता ही समाज को उचित दिशा दिखा सकते हैं और जनता के लिए एक आदर्श उदाहरण सेट कर सकते हैं। चुनौतियों का समाधान: विभिन्न चुनौतियों और समस्याओं का सामना करना और उनका हल निकालना कर्मशीलता की मांग करता है। जन–जागरूकता और सहभागिता: सक्रिय नागरिकों द्वारा सहयोग और समाज में जन-जागरूकता बढ़ाना। आत्मनिर्भरता की दिशा में प्रयास: राष्ट्र की आत्मनिर्भरता में कर्म की महत्ता को पहचानकर उस दिशा में कदम बढ़ाना। भावी पीढ़ी के लिए प्रेरणा: अपने कर्मों से भावी पीढ़ियों के लिए सकारात्मक प्रेरणा का स्रोत बनना।
कर्म का स्थान राष्ट्र निर्माण में सिर्फ उद्देश्यों के पूर्ण होने तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह नागरिकों के आचरण में, उनकी दैनिक जीवन शैली में, और उनके सामाजिक उत्तरदायित्व में भी निहित होता है। इसलिए, गणनात्मक सक्रियता की मांग है, न कि केवल आदर्शवादी अभिनय की।
PM Modi सरकार की प्रमुख उपलब्धियाँ और योजनाएँ
वर्तमान सरकार ने विभिन्न क्षेत्रों में अनेक योजनाएँ और प्रोजेक्ट्स लागू करके कई उल्लेखनीय उपलब्धियाँ हासिल की हैं। इनमें से कुछ प्रमुख हैं:
जन धन योजना: इसके माध्यम से निम्न एवं मध्यम आय वर्ग के लाखों लोगों को बैंकिंग सेवाएं प्राप्त हुईं। स्वच्छ भारत अभियान: इस अभियान ने स्वच्छता और साफ-सफाई पर विशेष जोर दिया। उज्ज्वला योजना: इसके अंतर्गत बीपीएल परिवारों को मुफ्त LPG कनेक्शन प्रदान किये गए। आयुष्मान भारत: विश्व का सबसे बड़ा हेल्थ इंश्योरेंस स्कीम होने का दावा करते हुए, इस योजना ने करोड़ों लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराई हैं। डिजिटल इंडिया: सरकारी सेवाओं को ऑनलाइन लाने और ई-गवर्नेंस पर जोर दिया गया है। मेक इन इंडिया: इस पहल का उद्देश्य भारत को वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनाना और विदेशी निवेश आकर्षित करना है। स्टार्ट–अप इंडिया: उद्यमियों को प्रोत्साहित करने और नवाचारी व्यापारों के लिए माहौल तैयार करने की दिशा में काम किया गया। अटल पेंशन योजना: असंगठित क्षेत्र के कर्मकारों के लिए पेंशन स्कीम चालू की गई।
ये योजनाएँ और प्रोजेक्ट सीधे तौर पर देश के आम जनमानस के जीवनस्तर को सुधारने की दिशा में कदम हैं। सरकार का यह भी प्रयास रहा है कि सभी वर्गों के लोग इकोनॉमिक ग्रोथ में साझीदार बन सकें।
PM Modi नीतियों और आदर्शों का संगम
18वीं लोकसभा की पूर्व संध्या पर पीएम मोदी ने जनता के बीच नारा बुलंद किया है, जिसका संदेश स्पष्ट है – ‘लोगों की मांग है कि अभिनय नहीं, बल्कि सक्रियता हो।’ इस नारे के माध्यम से वे नीतियों और आदर्शों के महत्वपूर्ण संगम की बात कर रहे हैं। प्रधानमंत्री ने बताया की आज का भारत पुरानी पद्धतियों को छोड़, प्रगतिशील और उत्कृष्ट नीतियों की ओर अग्रसर है, जिनका मूल उद्देश्य लोक कल्याण है। ये नीतियां न केवल आर्थिक विकास के लिए हैं, बल्कि समाज के हर वर्ग की भलाई के लिए समर्पित हैं। संदर्भित नारा उसी दृष्टिकोण को प्रस्तुत करता है जहां:
भारत की विविधतापूर्ण संस्कृति की समृद्धि को पहचाना जाता है। भारतीय संविधान के मूल्यों को चरितार्थ किया जा रहा है। जनता के साथ पारदर्शी संवाद का प्रयास किया जा रहा है। जनता की आवश्यकताओं को समझते हुए उनका समाधान ढूंढा जा रहा है।
प्रधानमंत्री का यह विश्वास है की राजनीति में उच्च नीतियों और आदर्शों का होना अनिवार्य है। साथ ही, उन्होंने अपेक्षा व्यक्त की कि प्रत्येक सांसद इन मूल्यों को अपनाये, जिससे लोकसभा में उत्कृष्ट चर्चाएं हो सकें और सर्वोत्तम नीतियों का सृजन हो सके। उनकी सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि नीतियां और आदर्श स्थापित करने का कार्य निरंतरता के साथ और लोगों के हित में किया जाए, जिससे एक मजबूत और समृद्ध भारत का निर्माण संभव हो सके।
PM Modi भविष्य की रूपरेखा और 18वीं लोकसभा की भूमिका
18वीं लोकसभा जहाँ एक ओर भारत के विकास की नई दिशा तय करेगी, वहीं इसकी भूमिका नागरिकों की उन उम्मीदों को पूरा करने में होगी जो उन्होंने एक प्रतिनिधित्वकारी संस्था से रखी हैं। इस सदन की प्राथमिकताएँ निम्नानुसार होंगी:
सुशासन: सदन को सुशासन की दृष्टिकोण से नए प्रस्तावों और योजनाओं को मंजूरी देनी होगी, जिससे पारदर्शी और जवाबदेह प्रशासन सुनिश्चित हो सके। आर्थिक विकास: लोकसभा का एक महत्वपूर्ण कार्य देश के सभी क्षेत्रों के आर्थिक विकास हेतु नीतियों पर विचार करना है। सामाजिक न्याय: विभिन्न समूहों, विशेषकर वंचितों के लिए सामाजिक न्याय सुनिश्चित करना लोकसभा के लिए प्रमुख क्षेत्र रहेगा। सुरक्षा और रक्षा: देश की सुरक्षा और रक्षा नीतियों को प्रभावी बनाने हेतु कदम उठाना यह सदन की गंभीर ज़िम्मेदारियों में से एक है। तकनीकी एवं डिजिटलीकरण: आधुनिक भारत की आवश्यकतानुसार तकनीकी विकास और डिजिटलीकरण को बढ़ावा देना। पर्यावरण संरक्षण: पर्यावरणीय चिंताओं का ध्यान रखते हुए सतत् विकास की नीतियों को अपनाना। स्वास्थ्य सेवाएं: बेहतर स्वास्थ्य ढांचे के लिए कानून और नीतियों का निर्माण और सुधार।
लोकसभा अपने कोटि में आदर्श, पारदर्शी और जवाबदेह होकर, सभी नागरिकों की ओर से सही फैसले लेकर, भारतीय लोकतंत्र की मजबूती के लिए योगदान देने का लक्ष्य रखेगी। इसके सदस्य न तो केवल अभिनय करेंगे, बल्कि सक्रियता से काम करेंगे, जिससे राष्ट्र के सामने आई चुनौतियों का समाधान खोजा जा सके और समग्र विकास सुनिश्चित हो। इस प्रकार 18वीं लोकसभा भविष्य की नींव रखने में सहायक होगी और आने वाले कल के लिए मजबूत ढांचा प्रदान करेगी।
विपक्ष की भूमिका और कर्मों की राजनीति
राजनीति में विपक्ष की भूमिका हमेशा से केंद्रीय रही है। लोकतंत्र में विपक्ष ना केवल सत्ताधारी दल की नीतियों की समीक्षा करता है बल्कि जनहित में प्रश्न भी उठाता है। विपक्ष वह धरोहर है जो शासन को पारदर्शी और उत्तरदायी बनाती है। 18वीं लोकसभा की पूर्व संध्या पर, जनता विपक्ष से अपेक्षा कर रही है कि वे केवल आलोचना का पथ ना अपनाएं, बल्कि सक्रियता और संजीदगी से काम लें।
विपक्ष की कर्मों की राजनीति में कई महत्वपूर्ण कारक हैं:
सकारात्मक आलोचना: विपक्ष को सरकार की नीतियों की योग्य समीक्षा करनी चाहिए जिससे सुधार संभव हो सके। नीतिगत सुझाव: और विकल्प सरकार के सामने रखकर विपक्ष निर्माणात्मक भूमिका निभा सकता है। जनता के सवालों का प्रतिनिधित्व: विपक्ष को जनता की आवाज़ को संसद में उचित तरीके से पेश करना चाहिए। संतुलन और समन्वय: सत्ता और विपक्ष के बीच संतुलन बनाए रखते हुए सहयोगी वातावरण को बढ़ावा देना चाहिए। जवाबदेही और पारदर्शिता: विपक्ष को सरकार को जवाबदेह बनाने के लिए समर्थन करना चाहिए और स्वयं भी उत्तरदायी बनना चाहिए।
18वीं लोकसभा की दहलीज पर खड़े होकर प्रधानमंत्री मोदी का नारा ‘लोगों की मांग – अभिनय नहीं, सक्रियता हो’ इस बात को दर्शाता है कि समय आ गया है जब राजनीति केवल शाब्दिक युद्ध से ऊपर उठकर कार्यान्वित होनी चाहिए। इसी अवधारणा के तहत, विपक्ष का दायित्व बनता है कि अब उनकी भूमिका कर्म और सक्रिय राजनीति की ओर विस्तृत हो।
जनता की अपेक्षाएँ और सरकार की जवाबदेही
भारतीय गणराज्य की नींव जनता की अपेक्षाओं और सक्रिय जनतंत्र पर टिकी है। जनता जिस सरकार को चुनती है, वह उनकी अपेक्षाओं का सम्मान करती है और उन्हें पूरा करने की कोशिश करती है। 18वीं लोकसभा की पूर्व संध्या पर, जनता की ये अपेक्षाएँ स्पष्टत: सामने आई हैं:
रोजगार के अवसरों का सृजन: युवाओं का एक बड़ा वर्ग बेहतर रोजगार की मांग कर रहा है। नौकरीपेशा और उद्यमी दोनों को समृद्ध करने वाले अवसरों की आवश्यकता है।
स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार: महामारी ने स्वास्थ्य सेवाओं के महत्व को रेखांकित किया है। जनता उच्च मानकों की स्वास्थ्य सेवाओं की अपेक्षा करती है।
शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार: गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की मांग हर छात्र की होती है, और सरकार से इसपर विशेष ध्यान देने की अपेक्षा होती है।
कृषि क्षेत्र का समर्थन: कृषक समुदाय बेहतर कृषि नीतियों और सहयोग की आशा रखते हैं। समर्थन मूल्यों और बाजार तक पहुँच में सुधार से उनकी मदद होगी।
सरकार की जवाबदेही इन अपेक्षाओं के प्रति संवेदनशील होना और परिणामों के साथ उत्तरदायित्व को सामने लाना है। प्रधानमंत्री मोदी का यह नारा कि “लोगों की मांग – अभिनय नहीं, सक्रियता हो,” इस जवाबदेही को और अधिक प्रबल करता है। सरकार की ओर से लगातार प्रगति रिपोर्ट्स और उनके द्वारा की गई कार्रवाइयों को सार्वजनिक करना इस जवाबदेही को सुनिश्चित करता है।
जनता और सरकार के मध्य संवाद का होना और जनता की राय का सरकारी निर्णयों में स्थान पाना यह दर्शाता है कि जवाबदेही का मानक सरकार द्वारा स्थापित किया जा रहा है और वह जनता की अपेक्षा पर खरी उतरने का प्रयत्न कर रही है।
अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भारत की छवि
वैश्विक मंच पर भारत की मौजूदा छवि एक उदारवादी और प्रगतिशील देश के रूप में स्थापित हो रही है, जहां प्रतिनिधित्व, साझा विकास और सामूहिक प्रयासों को महत्व दिया जाता है। इस धारणा को मजबूत बनाने में भारतीय प्रधानमंत्री की विदेश नीतियां और उनके रणनीतिक गठजोड़ काफी प्रभावशाली रहे हैं। यहां कुछ मुख्य पहलू हैं जो भारत की अन्तर्राष्ट्रीय छवि को परिभाषित करते हैं:
सक्रिय विदेश नीति: भारत ने अपनी विदेश नीति को अधिक आक्रामक और सक्रिय बनाया है, जिसमें जोड़-तोड़ और मिलकर काम करने की क्षमता को मजबूती दी गई है। बहुपक्षीय मंचों पर भागीदारी: चाहे वह संयुक्त राष्ट्र हो, G20 हो, या BRICS जैसे संगठन, भारत ने हमेशा सक्रिय और निर्णायक भूमिका निभाई है। आतंकवाद के खिलाफ ठोस कदम: भारत ने अंतर्राष्ट्रीय मंच पर आतंकवाद के खिलाफ अपनी ठोस नीति और कदमों के लिए प्रशंसा प्राप्त की है। आर्थिक विकास: भारत की तीव्र आर्थिक प्रगति और स्थिरता ने भी उसे एक विश्वसनीय व्यापार साझेदार बना दिया है।
पर्यावरणीय वार्ताओं में भारत की सक्रिय भागीदारी, जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर अग्रणी कदम, और नवीकरणीय ऊर्जा के प्रति समर्थन ने भी अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में एक सकारात्मक छवि बनाने में योगदान दिया है। भारत की इस बहुआयामी पहचान ने विश्व में उसकी स्थिति को मजबूत किया है और आने वाले समय में इसका और विस्तार होने की संभावना है।
PM Modi का नारा:कर्म ही पूजा है
निष्कर्ष: कर्म ही पूजा है
लोकतंत्र के महोत्सव में आस्था रखते हुए 18वीं लोकसभा का आरंभ होने जा रहा है और इस पूर्व संध्या पर प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी बातचीत में एक स्पष्ट संदेश दिया है कि लोग चाहते हैं कि उनके नेता सिर्फ शब्दों में ही नहीं बल्कि कर्म में भी प्रामाणिक हों। इस संदर्भ में “कर्म ही पूजा है” का भाव विशेष महत्वपूर्ण हो जाता है।
कर्मों का प्राथमिकता देना: सांसदों और नेताओं को शब्दों की राजनीति से उठकर कर्मों की ओर बढ़ने की जरूरत है। लक्ष्य प्राप्ति के लिए निष्ठा: अपने वादों को पूरा करने हेतु निष्ठावान कार्यान्वयन आवश्यक है। जनता का विश्वास जीतना: जनता को उम्मीद है कि उनके प्रतिनिधि खुद में विश्वास और सक्रियता दिखाएंगे। संकल्प और सिद्धि: प्रत्येक कार्यक्रम को जनता के हित में ठोस परिणाम देने वाले निर्णयों से जोड़ना होगा। ढोंग को नकारना: अभिनय के बजाय वास्तविक कार्यों को प्राथमिकता देना जरूरी है।
पीएम मोदी का यह कहना कि “लोगों की मांग – अभिनय नहीं, सक्रियता हो” इन्हीं परिप्रेक्ष्य में अत्यधिक सार्थक बैठता है। सक्रियता और कर्मों में दर्शाई गई प्रतिबद्धता ही वर्तमान राजनीति के लिए नई पूजा का रूप है। एक सशक्त और सजग लोकसभा के लिए यही कर्मधारा आधार होना चाहिए। जहां शब्दों नहीं बल्कि कर्मों से मूल्यांकन और उम्मीदें कायम की जाती हैं। अंततः कर्म ही पूजा है, यह विचारधारा न केवल नैतिकता की बुनियाद प्रदान करती है बल्कि आगामी लोकसभा की सफलता के लिए मार्गदर्शन भी करती है।
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