Amar Kumar की दर्दनाक कहानी: भारतीय रेलवे की शंटिंग प्रक्रिया पर बड़ा सवाल

Amar Kumar

Amar Kumar की दर्दनाक कहानी: भारतीय रेलवे की शंटिंग प्रक्रिया पर बड़ा सवाल

भारतीय रेलवे के हजारों कर्मचारी हर दिन अपनी जान जोखिम में डालकर काम करते हैं। बिहार के बेगूसराय में घटी एक हृदयविदारक घटना ने इस कड़वे सच को उजागर कर दिया। शंटमैन अमर कुमार की दर्दनाक मृत्यु न केवल उनके परिवार के लिए एक बड़ा आघात है, बल्कि भारतीय रेलवे की खामियों पर गंभीर सवाल भी खड़े करती है।

अमर कुमार, जिन्हें अपने पिता के निधन के बाद रेलवे में नौकरी मिली थी, एक सामान्य दिन में शंटिंग प्रक्रिया के दौरान अपनी जान गंवा बैठे। उनकी मौत ने यह साबित कर दिया है कि रेलवे में तकनीक और सुरक्षा के मानकों को लेकर कितनी लापरवाही बरती जा रही है।

क्या हुआ था उस दिन?

घटना बेगूसराय रेलवे स्टेशन पर हुई, जब शंटमैन Amar Kumar ट्रेन के इंजन और बोगी को अलग (डिकपलिंग) कर रहे थे। इस खतरनाक प्रक्रिया के दौरान सिग्नल देने वाले दूसरे शंटमैन, मोहम्मद सुलेमान, ने गलती से गलत सिग्नल दे दिया। इससे ट्रेन का इंजन अचानक आगे बढ़ गया, और अमर कुमार इंजन और बोगी के बीच फंस गए।

भारतीय रेलवे द्वारा शुरुआती जांच में इसे कर्मचारियों की कमी और सुरक्षा में लापरवाही का नतीजा बताया गया। खास बात यह है कि इस खतरनाक काम के लिए मौके पर केवल दो कर्मचारी मौजूद थे, जबकि अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार, ऐसे कामों के लिए एक पूरी टीम की आवश्यकता होती है।

शंटिंग प्रक्रिया और इसके खतरे

भारत में 23,000 से अधिक ट्रेनें चलती हैं, और इनमें से लगभग 10,000 ट्रेनों में शंटिंग की प्रक्रिया अभी भी मैन्युअल तरीके से होती है। शंटिंग का मतलब है ट्रेन के इंजन और बोगी को जोड़ना या अलग करना। यह काम खासकर तब किया जाता है, जब ट्रेन के दोनों सिरों पर इंजन नहीं होते।

दुनिया के कई विकसित देशों, जैसे ब्रिटेन, फ्रांस, और जर्मनी में यह प्रक्रिया अब पूरी तरह से ऑटोमेटेड हो चुकी है। वहां मशीनों और तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे किसी इंसानी गलती की संभावना ही नहीं रहती। इसके उलट, भारत में यह काम आज भी इंसानी श्रम से किया जाता है, जो न केवल पुरानी व्यवस्था को दर्शाता है, बल्कि कर्मचारियों की जान के लिए भी खतरनाक है।

शंटमैन की नौकरी का आकर्षण और जोखिम

भले ही शंटमैन की नौकरी जोखिम भरी हो, लेकिन यह आज भी भारतीय युवाओं के लिए एक आकर्षक करियर विकल्प है। रेलवे में यह नौकरी आर्थिक सुरक्षा के साथ-साथ पदोन्नति की संभावनाएं भी प्रदान करती है। अमर कुमार भी अपने परिवार की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए इस नौकरी में शामिल हुए थे।

भारतीय रेलवे ने 2019 में वादा किया था कि शंटिंग प्रक्रिया को सुरक्षित और आधुनिक बनाया जाएगा। इसके बावजूद, अमर कुमार जैसे हजारों कर्मी अब भी इस जोखिम भरे काम को करने के लिए मजबूर हैं। उनकी कहानी बताती है कि वादे और हकीकत के बीच कितना बड़ा अंतर है।

लापरवाही का नतीजा

Amar Kumar की मौत एक गलती का परिणाम थी। लेकिन क्या यह गलती केवल उनके साथी कर्मचारी की थी? या यह रेलवे की लचर कार्यप्रणाली और पुरानी तकनीकों की वजह से हुआ?
घटना के बाद उठे सवाल भारतीय रेलवे की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर चिंताएं पैदा करते हैं:

  1. क्यों अब तक शंटिंग प्रक्रिया को ऑटोमेटेड नहीं किया गया?
  2. ऐसी खतरनाक प्रक्रियाओं में पर्याप्त स्टाफ क्यों नहीं होता?
  3. भारतीय रेलवे तकनीकी उन्नति में इतना पीछे क्यों है?

भारत और दुनिया में अंतर

भारत में मैन्युअल शंटिंग प्रक्रिया से जुड़ी मौतें आम हो चुकी हैं। दूसरी ओर, यूरोपीय देशों ने इस प्रक्रिया को पूरी तरह से मशीनों के हवाले कर दिया है। ब्रिटेन और फ्रांस में ऑटोमेटेड शंटिंग सिस्टम इंसानी गलती को लगभग खत्म कर देता है। भारत में भी ऐसी तकनीक अपनाई जा सकती है, लेकिन इसे प्राथमिकता नहीं दी जा रही।

अमर कुमार की कहानी से सीख

Amar Kumar जैसे कर्मी भारतीय रेलवे की रीढ़ हैं। उनकी जानें बचाने के लिए तकनीक को अपनाना अब और अधिक जरूरी हो गया है। रेलवे के पास हर साल करोड़ों रुपये के बजट होते हैं, लेकिन इन्हें सुरक्षा और तकनीकी सुधार में लगाना शायद रेलवे की प्राथमिकताओं में शामिल नहीं है।

क्या होना चाहिए?

  1. शंटिंग प्रक्रिया को जल्द से जल्द ऑटोमेटेड करना।
  2. कर्मचारियों के लिए बेहतर प्रशिक्षण और सुरक्षा उपकरण उपलब्ध कराना।
  3. जोखिम भरे कामों के लिए पर्याप्त स्टाफ की तैनाती।
  4. नई तकनीकों को अपनाने के लिए बजट का सही इस्तेमाल।

निष्कर्ष

Amar Kumar की दर्दनाक मौत केवल एक दुर्घटना नहीं है। यह भारतीय रेलवे की पुरानी और लचर प्रणाली का नतीजा है। उनकी शहादत हमें याद दिलाती है कि मानव जीवन की कीमत तकनीकी सुधारों से कहीं ज्यादा है। अब समय आ गया है कि रेलवे पुरानी व्यवस्थाओं को पीछे छोड़कर आधुनिकता और सुरक्षा की ओर कदम बढ़ाए।

आपकी राय क्या है?
क्या रेलवे को अपनी व्यवस्थाओं में बदलाव करने की जरूरत नहीं है? हमें अपनी राय नीचे कमेंट में जरूर बताएं।

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